Income Tax Return: अप्रैल महीने के साथ नए वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही आयकर से संबंधित कई नए प्रावधान भी प्रभाव में आ गए हैं। इस वर्ष भी अपना आयकर रिटर्न आप नई या पुरानी टैक्स रेजीम के तहत दाखिल कर सकते हैं। नई टैक्स रेजीम को आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने इसके टैक्स स्लैब में बदलाव किया है।
इस वित्त वर्ष से नई रेजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की भी शुरुआत की गई है, ऐसे में सात लाख रुपये तक की आमदनी तक किसी भी तरह के टैक्स की देनदारी से बचा जा सकेगा। व्यक्तिगत करदाताओं के पास पुरानी या नई कर रेजीम में से किसी एक को चुनने का विकल्प होता है।
जहां पुरानी रेजीम में छूट और कटौती के प्रावधान हैं वहीं नई कर रेजीम कर की कम दरों की पेशकश करता है, पर इसके तहत कोई छूट नहीं दी जाती। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आपको इस महीने पुरानी या नई रेजीम में से किसी एक को चुनकर अपने नियोक्ता को बताना होगा

यदि कोई कर्मचारी नियोक्ता को पसंदीदा कर व्यवस्था के बारे में सूचित करना भूल जाता है?
यह बहुत जरूरी है कि कर्मचारी अपने नियोक्ता को अपने पसंदीदा कर ढांचे के बारे में सूचित करें। नहीं तो वे अपने वेतन से टीडीएस की कटौती का सामना कर सकते हैं। उन्हें नियोक्ता के निर्देशों का पालन करना चाहिए, जो उन्हें अपनी कुल आय और टीडीएस की गणना करने में सहायता करेंगे।
यदि कर्मचारी अपने नियोक्ता को अपने पसंदीदा कर ढांचे के बारे में सूचित नहीं करते हैं तो उन्हें अपने वेतन से टीडीएस की कटौती का सामना करना पड़ सकता है। अगर वे इस मामले में परेशान हैं, तो वे अपने नियोक्ता से संपर्क करके समस्या को हल करने की कोशिश कर सकते हैं।
FOR NEWS | FOR FASHION |
---|---|
👉 Telegram Group | 👗 WhatsApp Group |
🔥 WhatsApp Group | 💄 Fashion Telegram |
⚡ Facebook Group | 👩 Facebook Group |
इस तरह की समस्याएं आम तौर पर आती रहती हैं। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण समस्या है जिसे जल्द से जल्द हल करना चाहिए। कर्मचारियों को नियोक्ताओं से संबंधित सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए, ताकि वे नुकसान से बच सकें।

नई टैक्स रिजीम के तहत आयकर स्लैब
यह एक सूचना है कि भारत सरकार द्वारा नई टैक्स रिजीम के तहत सात लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स देय नहीं होगा। इसके अलावा, 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी मंजूरी दे दी गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सात लाख रुपये से कम आमदनी वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा।
इसके अलावा, बेसिक छूट सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे कि आमदनी 3 लाख रुपये से कम होने पर भी टैक्स की भारी माफी दी जाएगी।
सालाना आमदनी के अनुसार अलग-अलग प्रतिशतों के अनुसार टैक्स का प्रावधान बनाया गया है। जैसे कि, तीन से छह लाख रुपये सालाना की आमदनी पर पांच प्रतिशत, छह से नौ लाख रुपये की आमदनी पर 10 प्रतिशत, नौ से 12 लाख की आमदनी पर 15 प्रतिशत, 12-15 लाख की आमदनी पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये और उससे अधिक की आमदनी पर 30 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान है।
यह रिजीम केंद्र और राज्यों दोनों के लिए

पुरानी टैक्स रिजीम के तहत आयकर स्लैब
पुरानी टैक्स रिजीम के तहत छूट और कटौती का फायदा मिलता है। इस रिजीम में मूल छूट सीमा यानी बेसिक एक्जेम्प्शन लिमिट 2.5 लाख रुपये तक है। इस रिजीम के तहत पांच लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले लोग टैक्स देने से बच जाते हैं।
पुरानी रिजीम के तहत, 2.5-5 लाख की आमदनी पर पांच प्रतिशत, 5-10 लाख की आमदनी पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये या उससे अधिक की आमदनी पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसलिए, अगर आपने अभी तक नई या पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प नहीं चुना है, तो कृपया तुरंत चुनें, अन्यथा आपके लिए डिफ़ॉल्ट रूप से नई कर व्यवस्था लागू हो जाएगी।
Disclaimer: The information given here is based on general beliefs and information collected from online trusted websites. Bgsraw Media does not confirm this.