Muzaffarpur Litchi: बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची( Muzaffarpur Litchi ) देश-विदेश में मशहूर है। एक कहावत है कि अगर गर्मियों में हल्की बारिश हो और उसके बाद मुजफ्फरपुर की शाही लीची न खाएं तो क्या करें? हर गर्मी में बारिश के मौसम में लोग मुजफ्फरपुर के लीचों का इंतजार करते हैं. Also Read: VIRAL VIDEO: शादी के दौरान जीजा ने किया भद्दा मजाक, गुस्साएं दूल्हे ने की थप्पड़ों की बरसा, देखे वीडियो!
राजधानी पटना हर मामले में समृद्ध है लेकिन हर साल लीची या फिर यूं कहें कि शाही लीची के लिए मुजफ्फरपुर का मुंह ताकता है। ऐसे में सरकार अब लीची को अन्य ऐसे जिले तक पहुंचाने की कोशिश में जुटी है जहां लीची का उत्पादन कम होता है या होता ही नहीं है। इसके लिए कई जिलों में भूमि को चिन्हित भी किया गया है। Also Read: IRCTC Tour Package: मात्र 7 हजार रुपये में 4 दिन का टूर, तिरुपति बालाजी के दर्शन का मौका!
11 जिलों में लीची की खेती के लिए जमीन की पहचान ( Muzaffarpur Litchi )
कहा जाता है कि लीची की मांग बिहार के अलावा देश के कई शहरों में है। तोड़ी गई लीची बहुत दिन तक नहीं रखी जा सकती, इस कारण कृषि विभाग अन्य जिलों में भी लीची का रकबा बढ़ाने की कोशिश में जुटी है। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के 11 जिलों में लीची की खेती के लिए भूमि चिह्न्ति की गयी है।
इन जिलों में पहचान की गई जमीन
कृषि विभाग के अधिकारी ने कहा कि इन चिन्हित भूमि पर लीची की खेती के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बताया कई अन्य जिलों में भी लीची के उपयुक्त भूमि की पहचान की गई है। देश में सबसे अधिक लीची का उत्पादन बिहार में होता है। लीची की खेती के लिए बिहार के कुल 11 जिलों में काफी बड़ी तादाद में जमीन की पहचान की गई है। इनमें राजधानी पटना भी है। देखिए कहां कितनी जमीन की कृषि विभाग ने पहचान की है।
- पटना में 124329 हेक्टेयर
- मुजफ्फरपुर में 153418 हेक्टेयर
- पूर्णिया में 303281 हेक्टेयर
- पूर्वी चंपारण में 300271 हेक्टेयर
- पश्चिमी चंपारण में 285287 हेक्टेयर
- मधुबनी में 275541 हेक्टेयर
- कटिहार में 263518 हेक्टेयर
- बांका में 235738 हेक्टेयर
- औरंगाबाद में 198376 हेक्टेयर
- सीतामढ़ी में 167797 हेक्टेयर
- भागलपुर में 131687 हेक्टेयर